तेजी से बढ़ती हार्ट अटैक की समस्या का कारण:
अनियमित और अनियंत्रित दिनचर्या, तनाव और असंतुलित भोजन तेजी से बढ़ती हार्ट अटैक की समस्या का प्रमुख कारण है। आयुर्वेदिक पद्यति से इलाज़ एवं परहेज से इसके बचाव संभव है। भगवान व्रह्मा ने जब पृथ्वी का सृजन किया तो प्रकृति में ही रोगों से बचाव के तत्व प्रदान किया तथा यदि कोई बीमारी हो तो उसका इलाज भी प्रकृति के माध्यम से ही संभव बनाया। हृदय शरीर का अति महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील अंग है अतः इसे संतुलन में रखना अतिआवश्यक है।
क्या एवं क्यों होता है हार्ट अटैक(हृदय घात):
उपरोक्त कारणो के अलावा अतिरिक्त प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट के सेवन से कोलेस्ट्रॉल रक्त नलिकाओं को जमा होने लगता है, औऱ ये कोलेस्ट्रॉल धमनियों में रक्त के बहाव को बाधित करने लगता है। कोलेस्ट्रॉल किसी मोम की तरह जमा होने से जब रक्त का बहाव बाधित होता है तो तीव्र दर्द एवं सांस लेले में परेसानी होने लगती है।
आयुर्वेद के अनुसार हार्ट अटैक से बचाव के परहेज:
आयुर्वेद का सिद्धांत है कि इलाज़ हमेशा दोनों में बीमारियों के कारण और निवारण में किया जाता है। अतः हार्ट अटैक से बचने के लिए आयुर्वेद में परहेज का महत्वपूर्ण स्थान है, ये परहेज खान-पान के होते है, दिनचर्या में बदलाव के होते है।साथ ही व्यायाम महत्पूर्ण है हार्ट अटैक से बचाव में। कुछ परहेज इस प्रकार है:
१) धूम्रपान , शराब या किसी भी तरह की नसीले पदार्थों के सेवन से परहेज जरूरी होता है।
२) चाय , कॉफी जैसे पदार्थों के अधिक सेवन से बचाव करना जरूरी होता है। साथ ही चॉकलेट एवं आइस क्रीम के सेवन से परहेज आवश्यक है।
३) अधिक तली हुए भोजन , पैकड बंद भोजन, फ़ास्टफूड और जंकफूड से परहेज जरूरी होता है। रिफाइंड तेल ,खोया, पनीर एवं मक्खन का सेवन नही करना है।
आयुर्वेद के अनुसार कुछ घरेलू एवं आवश्यक खाद्य पदार्थ जो हार्ट अटैक से बचाव करते है:
आयुर्वेद के अनुसार कुछ प्राकृतिक एवं घरेलू तरीको के स्तेमाल से हार्ट अटैक से बचाव किया जाना संभव है, उन में से कुछ उपाय इस प्रकार है:
१) व्यायाम: नियमित व्यायाम एवं टहलने से कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है, तथा इस घातक समस्या को दूर किया जा सकता है।
२) तनाव मुक्ति: तनावपूर्ण जीवन इस समस्या का महत्वपूर्ण कारण है, अतः किसी भी तरीके से तनाव को दूर करना जरूरी है। योग तनाव को दूर करने में बहुत कारगर होता है अतः योग को अपनाकर तनावमुक्त रहा जा सकता है।
३) अंकुरित अनाज जैसे देसी चना , मूंग, गेंहू का सेवन करना चाहिए।
४) फलीदार सब्जियों जैसे बीन्स, मटर, सेम का सेवन करना चाहिए।
५) पपीता, अनार, अंगूर, सेव जैसे फलों का सेवन करना लाभकारी होता है।
६) पीपल, हल्दी, केसर मिला हिअ गुनगुना दूध का सोने से पहने सेवन करना चाहिए।
७) आयोडीन नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करे, साथ ही शक्कर और रिफाइंड तेल के सेवन से बचे।
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